धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आज ‘हिंदू एकता यात्रा’ का आगाज किया, लाखों हिंदुओं को लेकर कहां निकल पड़े बाबा

 छतरपुर

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज, 21 अक्टूबर से सनातन हिंदू एकता पदयात्रा पर निकल गए हैं। 160 किलोमीटर लंबी उनकी ये यात्रा बागेश्वर धाम से ओरछा तक जाएगी। यात्रा को लेकर मध्य प्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर सरकार के हजरों भक्त पहले ही इकट्ठा हो गए हैं। 21 से 29 नवंबर तक चलने वाली उनकी इस यात्रा के दौरान धीरेद्र शास्त्री हिंदुओं को एकजुट करने का प्रयास करेंगे। साथ ही हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश भी देंगे।

पदयात्रा से एक दिन पहले बुधवार की रात को धीरेंद्र शास्त्री ने यात्रा में शामिल होने आए हजार भक्तों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है। इसे रोकने के लिए सड़कों पर उतरना जरूरी है। साथ ही हमें एकजुट होकर रहना भी जरूरी है। बाबा बागेश्वर ने आगे कहा कि 2005 तक वक्फ के पास कुछ सौ एकड़ की जमीन थी, लेकिन आज साढ़े 7 लाख एकड़ जमीन है। ये संसद पर भी दावा ठोक रहे हैं तो कल को यहां भी दावा ठोंक देंगे।
 

सनातन हिंदू एकता पदयात्रा पर निकलें धीरेंद्र शास्त्री

वहीं, पदयात्रा में शामिल होने आए हजारों की भीड़ ने अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकार बाबा बागेश्वर को अपना समर्थन दिया। हजारों की भीड़ देखकर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ये है हिन्दुत्व की हुंकार है। जात-पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई।  जब एक आवाज में हिंदू एक दिन धर्म विरोधियों के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएंगे तो उसी दिन इस देश में हिंदुओं पर होने वाला हिंसा भी रूक जाएगा। हमें बजरंगबली की कृपा पर पूरा भरोसा है।

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छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं- धीरेंद्र शास्त्री

पदयात्रा की शुरुआत में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- "हजारों की भीड़ और फ्लैशलाइट आपको क्या बता रही है, बागेश्वर में यह जगे हुए भारत के 2024 के जगे हुए हिंदू हैं। अब वह हिंदू नहीं बचे हैं कि तुम हमें थप्पड़ मारोगे और यह भाग जाएंगे। यह वह हिंदू है जिन्हें छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं। यह हिंदू हिंसा वादी नहीं अहिंसा वादी है क्योंकि उनके हाथ में तलवार नहीं है, विचार की तलवार है। हम इन हिंदुओं के हाथों में सच्चाई की किताब देना चाहते हैं। इन हिंदुओं के हाथों में रामायण और गीता देना चाहते हैं। इन हिंदुओं के हाथों में हम तर्क वादी सोच देना चाहते हैं। इन हिंदुओं के हाथों में हम हक के लिए लड़ने का अधिकार देना चाहते हैं। हम चाहते हैं हिंदू हक की बात बोलें, संविधान की बात बोलें, देश की एकता की बात बोलें। इनको कोई छेड़े तो यह किसी को छोड़े नहीं।"
आप कहते हो- करो या मरो की बारी है, भारत पर संकट भारी है?

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अब इससे बड़ा संकट क्या हो सकता है कि हमारे ही देश में रहकर हमारे ही मंदिरों पर कब्जा हो। राम के राज्य में राम का खाते हैं फिर भी राम के होने का सबूत मांगते हैं। अपने ही राम जिनको मानने के लिए हमारे दादा परदादा को शबरी ने बेर खिलाए, निषाद राज ने मित्रता की, वाल्मीकि ने रामायण लिखी, तुलसीदास ने रामायण लिखी। इतने के बावजूद भी देश में राम मंदिर के लिए हमें 500 सालों तक लड़ना पड़ा। जहां शंकर जी बैठे हैं इनके बाबर आए। बाबर के जमाने में और अकबर के जमाने में इन लोगों ने काशी विश्वनाथ में मंदिर को मस्जिद बता दिया। भगवान कृष्ण जहां प्रकट हुए वहां मस्जिद बना दी। उन्होंने जगह-जगह पर देश पर हक जताया। हिंदू समाज से कह रहे हैं करो या मरो के बारी है, भारत पर संकट भारी है। कल के दिन यह बागेश्वर धाम में मजार बना ले तो हम तो मर ही जाएंगे। इसलिए हम हिंदुओं को एक होने के लिए जात-पात को मिटाने के लिए ये कर रहे हैं।
बाबा हिंदुओं को जगा रहे हैं लेकिन विरोधी कह रहे हैं कि बाबा की कौन सी पार्टी है?

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बाबा की पार्टी है बजरंगबली की पार्टी, उसका निशान है मुगदर, उसका नारा है जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं और उसका सीधा सा खतरनाक शब्द है ठठरी बरे। इस नारे से सारे हिंदुओं की पार्टी बना रहे हैं। हम कोई पार्टी नहीं बना रहे हैं, हमें राजनीति में नहीं जाना है। राजनीति में जाकर हम करेंगे क्या? हनुमान जी के चरणों में प्रण लिया यही जीवन बिताना है हिंदुओं के लिए जीना और हिंदुओं के लिए मरना।

 भारत में अब हिंदू जाग गए हैं-धीरेंद्र शास्त्री

पदयात्रा की शुरुआत से पहले हुंकार भरते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत में अब हिंदू जाग गए हैं। अब हिंदू वो हिंदू नहीं है जो कि तुम हमें थप्पड़ मारोगे और हम भाग जाएंगे। यह वो हिंदू है जिन्हें जिन्हें छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं। यह हिंदू हिंसा वादी नहीं है, अहिंसा वादी है क्योंंकि उनके हाथ में तलवार नहीं, विचार की तलवार है। बाबा बागेश्वर ने आगे कहा कि हिंदुओं के हाथों में हम हक के लिए लड़ने का अधिकार देना चाहते हैं। हम चाहते हैं हिंदू हक की बात बोलें, संविधान की बात बोलें, देश की एकता की बात बोलें। इनको कोई छेड़े तो यह किसी को छोड़े नहीं।

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